Description
पुस्तक के बारे में
ग़ज़ल एक लोकप्रिय काव्य विधा बन चुकी है। हर नया शायर इसमें लिखना, कहना चाहता है मगर ग़ज़ल का व्याकरण, ख़ासकर बह् रें उसे बेहद परेशान करती हैं और वह इसे छोड़ देता है। इस किताब का मकसद ग़ज़ल की बह् रों के डर को कम करना है। इस किताब में आप चार तरीकों से बह् रों को समझ सकते हैं–
एक : इसमें दिये गये फिल्मी गीतों या रिकार्डिड ग़ज़लों की धुन को पकड़कर लिखें।
दो : इस किताब में दिये गये शेअरों को बार-बार दोहरा कर भी बह् र में लिख सकते हैं।
तीन : बह् र की चाल या रुकनों को समझकर भी लिख सकते हैं।
चार : शेअरों की तकतीअ की मदद से आप बह् र को समझ सकते हैं।
मुझे उम्मीद है कि यह किताब नये शायरों के लिए काफ़ी मददगार सिद्ध होगी। आपके सुझावों और सवालों इन्तिज़ार रहेगा।
इसके इलावा भी अनगिनत बह्रें हैं जो कि रुकनों की गिनती को घटा बढ़ाकर बनाई जा सकती। रुकन बढ़ाने से बड़ी बह्रें और घटाने के छोटी बह्र बन जाती है जैसे–
फ़ाइलातुन – फ़ाइलुन, एक छोटी बह्र बन गई। और खफ़ीफ़ बह्र के रुकनों का दुगना करके एक बड़ी बह्र बन जाती है
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन +फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
इस किताब में दिये गये शेअरों को, बार-बार पढ़ने से, बह्र की चाल, पढ़ने वाले नये शायरों के अन्दर बस जायेंगी और गीत गुनगुनाने से, गा कर लिखने में महारत हासिल हो जायेगी।
– अनुपिन्दर सिंह अनूप