AUTHOR – Surinder Rampuri
Punjabi to Hindi Translation by Subhash Neerav
| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 160 Pages | Hard BOUND | 2020 |
| 5.5 x 8.5 Inches | 400 grams | ISBN : 978-93-86835-99-4 |
पुस्तक के बारे में
“तुम्हारे अंदर सहनशक्ति बहुत है।”
“मैं जिन्न का बच्चा हूँ न।” मैं मुस्कराया।
“तुम तो देवता हो। तुम्हारा जिगरा बहुत बड़ा है।”
“क्या हो गया?”
“अभी भी पूछते हो कि क्या हो गया। तुम तो सब कुछ जानते थे। सब कुछ समझते थे। पर कभी मुँह से नहीं बोला।” वह फिर रोने लगी।
“मैं समझा नहीं।”
वह रोते-रोते ही बोली, “ऐसा न कहो। आप तो ऐसा न कहो। पता नहीं अगली घड़ी रहूँ, न रहूँ।”
“कुछ नहीं होता तुझे। तू ठीक हो जाएगी। बिल्कुल ठीक हो जाएगी। कितना बड़ा डॉक्टर तेरा इलाज कर रहा है। दवाई का हमने कभी नागा नहीं पड़ने दिया।”
“मुझे चैन की मौत मर जाने दो। मेरे साँस आसानी से निकल जाएँगे। तुम सब कुछ जानते थे। जानते-बूझते भी अनजान बने रहे। चुप रहे। मेरी हर गलती बिसरा दी। अब भी मेरी कितनी सेवा करते हो, कितनी देखभाल करते हो।”
“यह तो मेरा फर्ज़ है। तेरे बिना मेरा और है भी कौन।”
वह कुछ देर चुप रही। ठंडा श्वांस भर मेरी गोदी में रखा हुआ अपना सिर हिलाया और आहिस्ता-आहिस्ता बोलने लगी, “ऐसा आदमी कब मिलता है। देवता पुरुष। लोग तो बिना बात से ही आरोप लगाते रहते हैं। औरत के चलने-फिरने पर ही शक किए जाते हैं।”
मैं मुँह से कुछ न बोला। उसकी तरफ देखा। उसने मेरी आँखों में आए आँसू को देख लिया।
‘दीवारें’ कहानी से…
अनुक्रम
- अनुवादक की ओर से…
- पूर्णिमा से पहले
- उन दिनों की बात
- चिन्तावाली बात
- रेखाओं के आर-पार
- अपनी-अपनी पहुँच
- अन्धा कुआँ
- पूरन-अपूरन
- लहरें और साये
- गिरते-गिरते
- अभी नहीं
- उतार-चढ़ाव
- दीवारें
- टूट-फूट
- खंडहर बनते घर
- राह
- सहमी बुलबुल का गीत