Bataoda (Selected Short Stories)
बटौड़ा (कहानी संग्रह)

/, Fiction / कपोल -कल्पित, Paperback / पेपरबैक, Women Discourse / स्त्री विमर्श/Bataoda (Selected Short Stories)
बटौड़ा (कहानी संग्रह)

Bataoda (Selected Short Stories)
बटौड़ा (कहानी संग्रह)

190.00

Author(s) — Vipin Choudhary
लेखक  — विपिन चौधरी

| ANUUGYA BOOKS | HINDI | Total 122 Pages | 2022 | 6 x 9 inches |

| Will also be available in HARD BOUND |

Description

#विपिन चौधरी

विपिन चौधरी — जन्म : 2 अप्रैल 1976, खरकड़ी माखवान गाँव, जिला भिवानी (हरियाणा)
शिक्षा : बी.एससी. (प्राणी विज्ञान), एम.ए. (लोक प्रशासन), एम.ए.( राष्ट्रीय मानवाधिकार)
प्रकाशित कृतियाँ : कविता संग्रह – ‘अंधेरे के मध्य से’, (ममता प्रकाशन, 2008); ‘एक बार फिर’, (ममता प्रकाशन, 2008); ‘नीली आँखों में नक्षत्र’, (बोधि प्रकाशन, 2017)। जीवनी – ‘रोज़ उदित होती हूँ’ (अश्वेत लेखिका माया एंजेलो की जीवनी, दखल प्रकाशन, 2013)। अनुवाद – ‘अँग्रेजी राज़ में भूतों की कहानियाँ’ (रस्किन बॉन्ड, सस्ता साहित्य मण्डल, 2012); ‘जिंदा दफन’ (सरदार अजित सिंह की जीवनी, संवाद प्रकाशन, 2018)। संपादन – रेतपथ पत्रिका, (युवा कविता विशेषांक, 2014); युद्धरत आम आदमी, (स्त्री कविता विशेषांक, 2016); ‘रमणिका गुप्ता की आदिवासी कविताएँ’, (कविता-संग्रह, बोधि प्रकाशन, 2016)
पुरस्कार : ‘प्रेरणा पुरस्कार’, हरियाणा साहित्य अकादेमी एवं प्रेरणा परिवार (2006); ‘वीरांगना सावित्री बाई फुले पुरस्कार’, भारतीय दलित साहित्य अकादेमी, दिल्ली ( 2007); साहित्यिक कार्यों के लिए ‘काव्य संध्या मंच’, उकलाना मंडी द्वारा पुरस्कृत (2006); भारतीय भाषा परिषद, कोलकात्ता की पत्रिका वागर्थ द्वारा ‘प्रेरणा पुरस्कार’ से पुरस्कृत (2008)
संपति : स्वतंत्र लेखन
ई-मेल : vipin.choudhary7@gmail.com

पुस्तक के बारे में

‘बटौड़ा’ कहानी संग्रह की कहानियाँ, मेरे आस-पास के वे प्रसंग हैं, जिनमें फ़साना व्यंजन में नमक जितना ही है, बाकी की सारी हक़ीक़त उस जीवन से रूबरू है जिसे मैंने नज़दीक से देखा और उसके भीतर सांस ले रहे सत्य को जानने की कोशिश की। हरियाणा की पितृसत्तात्मक संरचना में स्त्री को अपनी उपस्थिति दर्ज करने के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ता है, इसी क्रम में उनका जीवन संघर्ष, श्रम और प्रतिरोध की प्रयोगशाला बन जाता है। ऐसी ही कई स्त्रियों के जीवन के कई पहलुओं को मैंने अपनी कहानियों में बुनने के कोशिश की है। इन प्रामाणिक अनुभवों में स्त्री जीवन की गहमागहमी हैं, प्रेम की पेचीदीगियाँ हैं, रिश्तों के पेच-ओ-ख़म हैं और इन सबके बीच में हवा के झोंके सी अनायास आ जाने वाली मैं भी हूँ, क्योंकि कहानी लिखते समय कहीं न कहीं मेरे सच के कुछ रेशे भी कहानी की बुनावट में गूँध जाते हैं। कहानियाँ पकने में काफी समय लेती हैं। कभी बचपन में देखी, महसूस की कोई घटना उम्र के किसी पड़ाव पर आकर कहानी का रूप ले लेती है, कहानी का यही सौंदर्य है। उसी सौंदर्य के भीतर इन कहानियों का जीवन है, जिसमें कितनी ही खट्टी-मिट्ठी स्मृतियाँ, सुख-दुख, हंसी खुशी से जुड़े ढेरों प्रसंग, राग विराग की ढकी छुपी उतेजनाएं सम्माहित हैं। पाठकों को मेरी इन कहानियों में जीवन के ये ही राग-रंग देखने को मिलेंगे।

 

Additional information

Binding Type

,

This website uses cookies. Ok