Bal Kand (Bal Laghukathain)
बालकांड (बाल लघुकथाएँ)

30.00

10 in stock

Author(s) – Ashok Bhatia
लेखक — अशोक भाटिया

| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 32 Pages | PIN BACK | 2019 |
| 5.5 x 8.5 Inches | 100 grams | ISBN : 978-93-86835-80-2 |

 

10 in stock

Description

 जिज्ञासा

छुटकी अपने अभिभावक के कमरे में खेलने में मगन थी। खेलते-खेलते उसने अभिभावक की तरफ़ बाहें उठाकर कहा– आ जा’ (यानी उठा लो)। अभिभावक ने कुर्सी से उठकर उसे गोद में ले लिया। छुटकी तुरन्त उनके स्टडी टेबल की तरफ़ संकेत कर बोली– बैट्ठी।’ (यहाँ बैठना है)
अभिभावक ने कुछ सोचा, टेबल पर जगह बनाई और उसे बिठा दिया। वह चीजों को ध्यान से देखने लगी। अभिभावक ने छुटकी से अपने कागजात वगैरा बचाने के लिए टॉर्च उठाई और ऑन करके उसे थमा दी। छुटकी ने टॉर्च का दोनों तरफ़ से मुआयना किया, फिर उसकी लाइट को देखा। फिर अभिभावक को टॉर्च देते हुए कहा– बन।’ (बंद कर दो) अभिभावक ने टॉर्च बंद करके फिर ऑन की और उसकी लाइट छुटकी की हथेली पर डालकर टॉर्च को हिलाया। छुटकी ने हथेली की सफेद रोशनी को अपने गाल पर पाउडर की तरह लगा लिया। फिर अभिभावक ने पास पड़े खाली कप को उठाया और उसमें टॉर्च की लाइट घुमाई। छुटकी ने इस क्रिया को भरपूर जिज्ञासा से देखा, फिर कप को उठाकर पानी की तरह पी लिया।

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