Aadivasi Ki Maut (Poetry)
आदिवासी की मौत (कविता संग्रह)

290.00

99 in stock

Author(s) — Khanna Prasad Amin
लेखक – खन्ना प्रसाद अमीन

| ANUUGYA BOOKS | HINDI | 88 Pages | HARD BOUND | Reprint : 2022 |
| 5.5 x 8.5 Inches | 350 grams | ISBN : 978-93-86835-37-6 |

99 in stock

Description

पुस्तक के बारे में

‘आदिवासी की मौत’ कविता-संग्रह में खन्नाप्रसाद अमीन की संग्रहित पचास कविताएँ आदिवासियों की सामाजिक, आर्थिक दुर्दशा का न केवल चित्र उकेरती हैं बल्कि, इन कविताओं में आदिवासी संघर्ष व प्रतिरोध का स्वर भी सुनाई पड़ता है। इन कविताओं में आदिवासी समाज की अनेक विडम्बनापूर्ण त्रासद स्थितियों का भी मार्मिक वर्णन है। अधिकांश कविताएँ सीधे आदिवासी जीवन की समस्याओं से जुड़ी हुई हैं। इन कविताओं में आदिवासियों के अनेक दु:खों, तकलीफों, गुस्सा, आक्रोश का सजगता के साथ, संयत शब्दों में वर्णन है। ये बहककर, अनाप-शनाप बकबक करती नहीं दिखती हैं, जिससे कविताएँ पठनीय बन गई हैं। आशा है, ‘खन्नाप्रसाद अमीन’ की कविताओं के माध्यम से आदिवासी समाज की विभिन्न दशाओं एवं समस्याओं को समझने में सहायता मिल सकेगी।
–महादेव टोप्पो, प्रसिद्ध कवि, रांची, झारखण्ड-834002

‘आदिवासी की मौत’ कविता-संग्रह आदिवासियों के विस्थापन की पीड़ा और हकीकत को उकेरता है। सरकार की विकास की नीतियों के कारण हो रहे विध्वंस की तस्वीर इन कविताओं में कवि ने उतारने की सफल कोशिश की है। ‘आदिवासी मौन क्यों है’–इस पर भी कवि प्रश्न उठाता है और दूसरी कविताओं में उत्तर भी देता है। आदिवासी संस्कृति, उनकी जीवन-शैली को किस कदर पर प्रभावित किया है बाहर से आने वाले घुसपैठियों ने, इसका भी चित्रण कहीं-कहीं मिल जाता है। ‘आदिवासी कब मरता है’–जब उसका जंगल नष्ट हो जाता है– क्योंकि जल-जंगल-जमीन के बिना आदिवासी का अस्तित्व ही सम्भव नहीं है। आदिवासी विस्थापन होता है तो उसकी सारी संस्कृति विस्थापित हो जाती है, उसकी भाषा भी खत्म हो जाती है। ‘आदिवासी की मौत’ कविता में कवि ने बखूबी इसका चित्रण किया है। खन्नाप्रसाद अमीन जी का यह काव्य-संग्रह पाठकों को नयी दृष्टि देगा और आदिवासियों के आक्रोश की हकीकत से भी उन्हें परिचित कराएगा।
–रमणिका गुप्ता, रमणिका फाउन्डेशन, नयी दिल्ली

Additional information

Weight 300 g
Dimensions 23 × 15 × 2 in
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